गाय का चारा खाते ये, कोयले की कालिख लगाते ये धरती माँ का सौदा कर, उसको भी नोच खाते ये.
4.
ईश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली और उसे एक गाय दे दी | अब बिरजू सुबह उठकर गाय का दूध दुहता | दिन में गाय को बाहर चराकर लाता | शाम को फिर गाय का चारा काट कर सानी तैयार करता | फिर रात को दूध दुहता |
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0 (2) स्मृतियाँ मेरी माँ की स्मृतियों में कैद है आँगन और छत वाला घर आँगन में पली गाय गाय का चारा सानी करती दादी पूरे आसमान तले छत पर साथ सोता पूरा परिवार चाँद तारों की बातें पड़ोस का मोहन बादलों का उमड़ना-घुमड़ना दरवाजे पर बाबा का बैठना।
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(2) स्मृतियाँ मेरी माँ की स्मृतियों में कैद है आँगन और छत वाला घर आँगन में पली गाय गाय का चारा सानी करती दादी पूरे आसमान तले छत पर साथ सोता पूरा परिवार चाँद तारों की बातें पड़ोस का मोहन बादलों का उमड़ना-घुमड़ना दरवाजे पर बाबा का बैठना।
7.
तो फिर दुनिया की बातों को लेकर हम खफा क्यों हों? चाहे देश मैं कितनी ही महंगाई बढ़ जाए, देश के नेता जो चाहे मन मर्जी करें, चाहे गाय का चारा खा जाए, चाहे खूब आपस मैं नूर कुश्ती करे या चाहे देश को बेच दे, एक बार वोट लेकर पूरे पाँच साल मैं आए, पर हम खफा नही होंगे ।